परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक- 16 अक्टूबर 20XX
सेवा में,
मुख्य प्रबंधक महोदय,
दिल्ली परिवहन विभाग,
जनकपुरी, नई दिल्ली।
विषय- संवाहक के प्रशंसनीय साहसिक व्यवहार के लिए पुरस्कृत करने का अनुरोध।
महोदय,
निवेदन है कि मैं दिल्ली का निवासी हूँ और नियमित रूप से प्रातः आठ बजे जनकपुरी
से द्वारका तक जाने वाली बस का यात्री हूँ। बस का संवाहक और चालक दोनों का
ही व्यवहार मधुर तथा सहयोगीपूर्ण है। दोनों ही कुशलता और हिम्मत के धनी है।
आज रास्ते में एक व्यक्ति जनकपुरी बस स्टैंड से बस में चढ़ा। बस में 20-30 यात्री थे
जो शांति से बैठे थे। जैसे ही बस आधे रास्ते पहुँची उस आदमी ने तमंचा निकालकर
सभी से चुप रहकर अपना कीमती सामान उसके हवाले करने को कहा। बस में यात्रा
कर रहीं महिलाएँ चीखने लगीं, संवाहक से सभी को शांत होने एवं हिम्मत रखने के
लिए कहा। फिर उस आदमी को अपनी बातों में फँसाकर अन्य व्यक्ति को इशारा किया।
सभी ने उसे दबोच लिया। उसने जैसे ही भागने की कोशिश की संवाहक ने चतुराई
दिखाते हुए उसका सामना किया। रास्ते में पड़ने वाली पुलिस चौकी में जाकर उस
अपराधी को पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया। संवाहक का यह साहसिक कार्य
प्रशंसनीय योग्य था।
अतः मैं विभाग से निवेदन करता हूँ कि संवाहक के इस साहसिक कार्य की प्रशंसा
करते हुए उसे सम्मानित किया जाए जिससे सभी को प्रेरणा मिल सकें।
सधन्यवाद!
भवदीय
क.ख.ग
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक- 15 मार्च 20XX
प्रिय बहन अर्पिता
सस्नेह,
आशा करती हूँ कि तुम कुशल मंगल होगी और चिंताओं से मुक्त अध्ययनरत होगी।
प्रिय अर्पिता! माँ से कल फोन पर वार्तालाप हुआ और मुझे पता चला कि तुम पढ़ाई
करने के लिए नगर गई हो। मुझे ख़ुशी है कि तुम शिक्षा प्राप्त करने के लिए तत्पर हो,
किन्तु अब कस्बे से दूर नगरीय जीवन में तुम्हारा प्रवेश हो गया है, जहाँ का वातावरण
और जीवन शैली बिल्कुल है। ध्यान रखना, कि व्यक्तित्व की परख बाह्य शृंगारिक
चीजों से नहीं होती बल्कि शालीनता से होती है। नगर की चकाचौंध और भागदौड़ से
बचकर रहना। स्वयं को फैशन की दौड़ में शामिल मत करना वरना अपने उद्देश्य से
भटक सकती हो। नगर के लोगों से सावधान रहते हुए दूरी बनाए रखना। कस्बे में
अपने लोगों के बीच रहकर अपनेपन की आदत बनाए रखना अच्छा था, परन्तु नगर
में ऐसे लोग बहुत मिलेंगे जो सिर्फ अपना स्वार्थ पूरा करना जानते हैं।
विद्यार्थी जीवन का समय अमूल्य होता है। इस समय को न गंवाते हुए अपने उद्देश्य को
पूरा करना और परिवार का सम्मान बढ़ाना। आगे तुम स्वयं समझदार हो। आशा है मेरी
सलाह को तुम जरूर समझोगी।
तुम्हारी बड़ी बहन
क.ख.ग
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक- 26 मार्च 20XX
सेवा में,
संपादक,
दैनिक समाचार पत्र,
बहादुर शाह जफर मार्ग,
नई दिल्ली।
विषय- टी. वी. चैनल में तर्कहीन व अवैज्ञानिक कार्यक्रम पर रोक लगाने हेतु पत्र
महोदय,
मैं आपके दैनिक समाचार पत्र के माध्यम से टी.वी. चैनल के अधिकारियों तक
अपनी बात पहुँचाना चाहती है। टी.वी. चैनल में रात्रि नौ बजे एक धारावाहिक
आता है जो अंधविश्वास को प्रोत्साहित करता है। इसका नाम है- 'डर' यह
कार्यक्रम अवैज्ञानिक व तर्कहीन है। इसमें प्रत्येक दिन एक नयी कहानी दिखायी
जाती है जो भूत पिशाचों से संबंधित होती है। इसका असर बच्चों पर अधिक
पड़ रहा है क्योंकि बच्चे इसे शौक में देखते हैं और इसे ही सच मानते हैं।
परन्तु इसका असर भयावह हो रहा है क्योंकि इसकी छाप मानसिक पटल पर
रह जाती है। जो हमारी भावी पीढ़ी के लिए नुकसानदायक हो सकती है। आपसे
अनुरोध है कि अपने लोकप्रिय समाचार पत्र में इस लेख को छापें ताकि टी.वी.
चैनल से अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित हो तथा वे ऐसे कार्यक्रमों का
प्रसारण न करें जो समाज को अंधविश्वासों से हानि पहुँचाए।
धन्यवाद!
भवदीया,
क. ख.ग.
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक- 16 मार्च 20XX
आदरणीय माता जी,
चरण स्पर्श,
माँ कुछ दिनों पहले अर्द्धवार्षिक परीक्षा में मुझसे एक गलती हो गई। विज्ञान के
पेपर की तैयारी अच्छी तरह न होने के कारण मैं परेशान था कारण परीक्षा में
मैंने नकल की। परन्तु मैं इसके लिए अत्यधिक लज्जित हूँ। माँ मैंने गलती की है
पर आज तक मैं इससे उभर नहीं पाया हूँ। पास होने के लिए मैंने गलत रास्ता
स्वीकार कर लिया जो शर्मनीय कार्य है।
माँ इस गलती को स्वीकार करते हुए माफी माँगना चाहता हूँ। परन्तु साहस नहीं जुटा पा रहा हूँ। आपके सामने अपनी गलती स्वीकार करने में लज्जित महसूस कर रहा हूँ। आपके दिये गए संस्कारों का मान नहीं रख पाया। माँ मैं इस पत्र द्वारा आपसे माँफी चाहता हूँ। मुझे माफ कर दीजिए। आगे से ऐसी चूक कभी नहीं होगी। आज मुझे एहसास हो रहा है मैं आदर्श बेटा न बन सका। मैं वादा करता हूँ ऐसी गलती दुबारा नहीं होगी। माँ इस पत्र द्वारा मैं अपने भावों को स्पष्ट करने की हिम्मत जुटा पाया हूँ। आशा है, आप मुझे माफ कर देंगी।
आपका पुत्र,
क. ख. ग ।
परीक्षा भवन,
सेंट जॉन्स स्कूल,
आगरा।
दिनांक- 20 जनवरी, 20XX
आदरणीय माता जी,
सादर प्रणाम,
मैं पिछले कई दिनों से स्कूल में संगीत समारोह की तैयारी में व्यस्त थी। इस
कारण आपको पत्र न लिख सकी। संगीत समारोह के लिए विद्यालय को अच्छी
तरह सजाया गया। समारोह विद्यालय प्रांगण में हुआ। इस अवसर पर प्रसिद्ध
संगीतकार ए.आर. रहमान जी मुख्य अतिथि थे। वे जैसे ही विद्यालय के
प्रवेश द्वारा पर आए उन पर फूलों की वर्षा होने लगी तथा विद्यालय प्राचार्य
ने उनका माल्यार्पण कर स्वागत किया। हमारे विद्यालय की छात्राओं द्वार
सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। इसके पश्चात् एक के बाद एक सांस्कृतिक
कार्यक्रमों की झाँकियाँ प्रस्तुत की गई। राजस्थानी नृत्य एवं गीत ने तो
आगंतुकों को मन्त्र-मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के अन्त में विद्यालय प्राचार्य ने
उपस्थित मुख्य अतिथि एवं उपस्थित अभिभावकों को सहर्ष धन्यवाद दिया।
साथ ही बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना भी की। अपने शुभाशीष के
पश्चात् कार्यक्रम का समापन किया।
मेरी पढ़ाई ठीक चल रही है। मीनाक्षी कैसी है? आपका और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक ही होगा। उनको मेरा प्रणाम कहना।
आपकी पुत्री
शालिनी
सम्पादक को पत्र
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
दैनिक जागरण,
सेक्टर 20,
नोएडा, गौतमबुद्ध नगर।
दिनांक 5 जनवरी, 20XX
विषय- योग-शिक्षा का महत्त्व।
महोदय,
जन-जन की आवाज, जन-जन तक पहुँचाने के लिए कटिबद्ध आपके पत्र के माध्यम से मैं
विद्यालय में योग-शिक्षा के महत्त्व को बताना चाहती हूँ।
योग शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होंगे। योग शिक्षा उनके स्वास्थ्य
के लिए लाभप्रद है।
योग के माध्यम से वे अपने शरीर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकाल सकते हैं। जिससे
सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर, वह स्वयं को ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं। योग के द्वारा कई।
लाइलाज बीमारियों को भी जड़ से समाप्त किया जा सकता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए
जीवनदायिनी औषधि की भाँति है।
आप अपने समाचार-पत्र के माध्यम से पाठकों को योग-शिक्षा ग्रहण करने के लिए आग्रह करें।
सधन्यवाद!
भवदीया
नीतू
आगरा।
58/19,
अलकापुरी,
दिल्ली।
दिनांक 20 सितम्बर, 20XX
प्रिय पी.वी. सिंधु
सस्नेह नमस्कार,
कल आपका टी.वी. पर प्रदर्शन देखा। उसे देखकर मुझे बहुत गर्व हुआ। आपने ओलम्पिक में
रजत पदक प्राप्त करके भारत का नाम रोशन किया है। आपकी यह सफलता प्रशंसा के योग्य है।
ओलम्पिक में रजत पदक पाना बड़े सम्मान की बात है।
यह देख कर मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि आपने अपने माता-पिता का ही नहीं अपितु
पूरे देश का नाम विश्व में रोशन किया हैं आप बहुत अच्छी खिलाड़ी हैं।
आपके परिश्रम एवं प्रतिभा को देखकर मुझे पूर्ण विश्वास हो गया है कि आप एक न एक दिन
स्वर्ण पदक भी प्राप्त करोगी। ईश्वर से प्रार्थना है कि आप भविष्य में इसी प्रकार की सफलता
प्राप्त कर जीवन के पथ पर आगे बढ़ती जाए। अंत में मेरी ओर से एक बार पुनः आपको इस सफलता
के लिए हार्दिक बधाई।
आपकी प्रशंसिका
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी,
आगरा नगर निगम,
आगरा।
दिनांक 20 जनवरी, 20XX
विषय- जलभराव की समस्या हेतु।
महोदय,
मैं लोहामंडी क्षेत्र की निवासी हैं तथा आपका ध्यान अपने क्षेत्र में जलभराव से हो रही
समस्याओं की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। वर्षा ऋतु के पश्चात् जगह-जगह सड़कों
पर जलभराव हो गया जिसके कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है साथ ही आने-जाने
वालों की गाड़ियों में पानी चले जाने के कारण खराब हो जाती हैं तथा वे दुर्घटना के
शिकार हो जाते हैं। जल भराव से संपूर्ण क्षेत्र में दुर्गंध फैल रही है। ऐसा नहीं है कि
हमारे क्षेत्र में सफाई कर्मचारी नहीं आते अपितु वे नियमित रूप से अपने कर्तव्यों का
निर्वहन नहीं करते थे, परंतु वे उस जलभराव की समस्या का समाधान नहीं करते हैं।
कई बार मौखिक रूप से क्षेत्रीय सफाई निरीक्षक से भी कहा तथा लिखित रूप में भी
इसकी चर्चा की, परंतु किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। वर्षा के पानी का भराव
गंदी नालियों और सफाई न होने के कारण पूरे क्षेत्र में मलेरिया के फैलने की भी संभावना बढ़ गई है।
चिंता का विषय है।
अतः आप से अनुरोध है कि लोहामण्डी क्षेत्र के निवासी की इस समस्या के समाधान के
लिए संबंधित अधिकारियों तथा कर्मचारियों को उचित निर्देश देने की कृपा करें। जिससे कि
पूरा क्षेत्र इस जलभराव की समस्या से बच सके।
मुझे आशा है कि आप हमारे क्षेत्र की सफाई करवाने के लिए तुरंत आवश्यक कार्यवाही करेंगे।
भवदीया
अ ब स
सेवा में,
प्रधानाचार्य,
सर्वोदय बाल विद्यालय,
कमलानगर,
आगरा।
दिनांक- 5 जुलाई, 20XX
विषय- ग्रीष्मावकाश में विद्यालय में रंगमंच प्रशिक्षण के लिए नाट्य कार्यशाला हेतु।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हम ग्रीष्मावकाश में विद्यालय में रंगमंच प्रशिक्षण के लिए एक कार्यशाला
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से आयोजित करना चाहते हैं। इसकी कई उपयोगिताएँ भी हैं,
जिसके परिणामस्वरूप हमारे विद्यालय के विद्यार्थी इस कार्यशाला में नाट्य सम्बन्धी कई अन्य
महत्वपूर्ण तथ्यों/बिंदुओं को सीख सकेंगे एवं इससे लाभ लेकर वह अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन
और अत्यधिक प्रभावी ढंग से कर सकेंगे। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में विद्यालय के शिक्षकों का
भी पूर्ण योगदान रहेगा। अतः आपसे अनुरोध है कि आप हमें ग्रीष्मावकाश में विद्यालय में
रंगमंच प्रशिक्षण के लिए कार्यशाला आयोजित करने की अनुमति प्रदान करने का कष्ट करें,
जिससे सभी लोग लाभान्वित हो सकें।
धन्यवाद!
आपका आज्ञाकारी शिष्य
अभिषेक
(छात्र प्रमुख)
पता : 37/18 जनकपुरी दिल्ली,
दिनांक-20 नबम्बर 20XX
आदरणीय चाचाजी,
सादर प्रणाम।
आशा करता हूँ कि घर में सब कुशलमंगल होंगे। हम भी यहाँ सब कुशलमंगल हैं। चाचाजी
इस समय आपको पत्र लिखने का विशेष कारण है। हमारे विद्यालय से कुछ स्वयंसेवक संगठित
होकर बाढ़ग्रस्त पीड़ितों की सहायता करने हेतु जा रहे हैं। मैंने भी अपना नाम दे दिया है और
अगले सप्ताह मुझे उनके साथ जाना है। मगर पिताजी मुझे इस कार्य में जाने के लिए अपनी
अनुमति नहीं दे रहे हैं।
आप अच्छी तरह जानते हैं इस समय बाढ़ पीड़ितों को हमारी मदद की आवश्यकता है। इस समय केवल आप हैं, जो मेरी सहायता कर सकते हैं। पिताजी को अब आप समझा सकते हैं। पत्र मिलते ही पिताजी से बात अवश्य कीजिए। पत्र समाप्त करता हूँ और आपके जवाब की प्रतीक्षा रहेगी।
आपका भतीजा
निर्मल सिंह